उपायुक्त
भारतीय ऋषियों और मनीषियों ने ज्ञान (विद्या) को मनुष्य की मुक्ति का साधन बताया है। मनुष्य अनादि काल से भय, भूख, दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे आचरण, दुर्बलता, दरिद्रता और हीनता, रोग, शोक आदि से मुक्ति चाहता रहा है। श्री विष्णु पुराण का उपरोक्त महावाक्य यह संदेश देता है कि मनुष्य को ज्ञान के माध्यम से अपने सभी कष्टों से मुक्ति पाने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान त्याग और तपस्या का फल है, इसलिए ज्ञान प्राप्ति सदैव कठिन परिश्रम है।
आइए, हम सभी अनुशासित बनें, सभी उपलब्ध संसाधनों का समर्पण भाव से उपयोग करें और ज्ञान प्राप्ति के लिए ईमानदारी से प्रयास करें। अपनी दिनचर्या में उचित आहार, व्यवहार और विचारों को शामिल करके, आइए हम प्रकृति द्वारा हमें दी गई अनंत संभावनाओं को ज्ञान की पवित्र ऊर्जा के प्रकाश में पल्लवित और पुष्पित करें।
हम सभी अपने विद्यालयों में प्रतिदिन प्रातः प्रार्थना सभा में कृष्ण यजुर्वेद के तैत्तिरीय उपनिषद से इस सूत्र का पाठ करते हैं।
आइये, हम इस सूत्र में छिपे महान सन्देश को समझें तथा इसे अपने जीवन में आत्मसात करते हुए अपने दैनिक कार्य करें। मैं गुरुग्राम संभाग के सभी प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, अधिकारियों एवं कार्मिकों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ तथा उनके सफल एवं सुखद भविष्य की कामना करता हूँ।